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Saturday, May 26, 2018

कमबख्त यह बेनाम रिश्ता...

अधूरे ख्वाबों का यह मंजर,बेचैन सांसो का यह घेरा,
 यह कपकपाती कलम,यह  सपकते होट सब तेरे होने से है
कमबख्त यह बेनाम रिश्ता..

फिर से यह गुजरती शाम,फिर से यह ढलता चांद
फिर से यह खाली रात,
सब तेरे होने से है
कमबख्त यह बेनाम रिश्ता...

और वही नाकामयाब कोशिश,और वही कामयाब उदासी
और फिर वही यह नादान दिल...
सब तेरे होने से
कमबख्त यह बेनाम रिश्ता...

कुछ वही उम्मीद,कुछ वही आस,
 कुछ वही राज, कुछ वही अंदाज
 सब तेरे होने से है
कमबख्त यह बेनाम रिश्ता..

और फिर से यह आज
और फिर से यह अब
और फिर से मैं तब...
 और फिर से न वो आज, और फिर से  न वो अब,
और फिर से में तब....
सब तेरे होने से है
कमबख्त यह बेनाम रिश्ता.

Friday, April 20, 2018

"कि दिल अभी भरा नहीं..."

सताओ तो कुछ और,
अभी दिल भरा नहीं
इरादे कुछ तो बढ़ाओ,अभी दिल भरा नहीं
कैसे हो तुम, कहां हो तुम,क्यों हो तुम और क्या हो तुम
प्रश्न..?अब सिर्फ प्रश्न है..?
सताओ तो कुछ और,
अभी दिल भरा नहीं

यह नाम,यह शाम,यह जाम
अब चुभते बहुत है
कुछ नया जख्म दिलाओ,
अभी दिल भरा नही

कोशिश पूरी करता हूं,तुझको इल्जाम न देने की
काश कुछ ऐसा कर जाते,औरों से अलग कुछ होने की
तक्सीम आदतें भी कर ली दिल फिर भी भरा नहीं
सताओ तो कुछ और,अभी दिल भरा नहीं

शुक्रगुजार हूं मैं,तेरा मुझ को, मुझमें,
मैं....दिखलाया
मैंने तो हर चीज में
सिर्फ तुम ही मैं,तुमको पाया

सह ना पाऊं में,
कुछ फिर से वह दो शब्द कहो
दिल अभी भरा नहीं
सताओ तो कुछ और अभी दिल भरा नहीं
इरादे कुछ तो बढ़ाओ अभी दिल भरा नहीं

Monday, April 16, 2018

Hindi Poem-कुछ अधूरे पल



अब
बख्श दिये हैं। कुछ पल मैंने अपनी इस तनहाई पर 
भूला कर रंगत मिटा  कर  संगत जीने  लगा हूं फरमाईस पर
रहनुमा मेरा  समझता है खुश हूं मैं अपनी अजमाइस पर

  जाने कैसे खोज लिये जीने के नये बहाने को 
उदासीन सा रहता हूं अक्सर मैं उसी ख़्वाइस पर
सोचा तुम को मैं मना लूंगा 
बैठेंगे फिर से सूरज के ढले उस चांद तले
किस्मत को मगर मंजूर नहीं बैठे फिर से 
सूरज के ढले उस चांद तले

इन अजनबीयों की नगरी में खालीपन बहुत सताता है
एक फूल का कहना है मुझसे महबूब के उसके जाने पर
ना जाने क्यों एहसास मेरे उस फूल कितने मिलते हैं
सोचता हूं अक्सर उसको क्या सभी एक से होते हैं

गुमसुम होकर एक दिन मुझसे उस फूल नहीं फिर एक बात कही
जो अपना था महज सपना था टूटेंगे नहीं तो तोड़ेगा रहनुमा मेरा
उस शाम के ढलते जाने पर
अब बख्श दिये हैं। कुछ पल मैंने अपनी इस तनहाई पर 
भूला कर रंगत मिटा  कर  संगत जीने  लगा हूं 
फरमाईस पर

Friday, April 13, 2018

Poem-सावन की बारिश में


उस दिन बालों को लेहरा करके निकली थी मुझसे मिलने को
मत पूछो हाल उस बादल का जो बरस पड़ा थे उस पर छम से

ज्यों घूरा उसने बादल को कुछ अपने ऐसे लहजे से
देखकर बिजली चमकी थी उसकी नजरों के तेवर से

बादल भी था कुछ आवारा सोचा उसने कुछ उपहास करूं
वो भी कुछ कम भी न थी भावों को उसके भाप लिया।
बोली मुश्करा के जाने दो अच्छा तुमको मॉफ  किया

फ़िर बोली बो उस बादल को अव जाने भी दो मुझको भी
बो पागल फिर से डाटेगा जो बैठा  है वहां पर  कब से 
एक वात कहूं उस पागल की कुछ अलग उसका पागलपन
वो अच्छा है वो सच्चा है दिल में उसके कोई खोट नही 
समझा है मेंने उसको कुछ. यू
वो समझता है में
समझती हूँ
वो सुनता है
मैं सूनती हूं

Sunday, April 8, 2018

Poem-Mera Jeevan



                                     Mera Jeevan



Dariya dil main uske bahkar,fir jine ko man karta hai.
Uski in meethi bataoun ko fir sunne ko man karta hai.
Kiu usko pal pal yeh nayan nihara karte hai?

Ab fir apno ki kadvi batain sunne ko man krta hai.
Dariya dail main...
Kiu man krta hai lout chalu,usi jindgi main, bo thodi khushi fir se sehne ko man krta hai.
Dariya dil main...

Ki uske sapkte adhro(lips) se koi shabd niklne wala ho
Jaise meri dhadkan ka koi rukh badlne wala ho,
In sb bataoun ko dekh,fir se jine ko man krta hai
Dariya dil main...

Bo kahte hai in ankhoun main koi raaz adhura baki hai?
Mail kaise usse kah du kya raaz adhura baki hai,
Mujhko bhi ab yh raaz batane ko man krta hai
Dariya dil main uske bahkar fir  jine ko man krta hai

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