अधूरे ख्वाबों का यह मंजर,बेचैन सांसो का यह घेरा,
यह कपकपाती कलम,यह सपकते होट सब तेरे होने से है
कमबख्त यह बेनाम रिश्ता..
फिर से यह गुजरती शाम,फिर से यह ढलता चांद
फिर से यह खाली रात,
सब तेरे होने से है
कमबख्त यह बेनाम रिश्ता...
और वही नाकामयाब कोशिश,और वही कामयाब उदासी
और फिर वही यह नादान दिल...
सब तेरे होने से
कमबख्त यह बेनाम रिश्ता...
कुछ वही उम्मीद,कुछ वही आस,
कुछ वही राज, कुछ वही अंदाज
सब तेरे होने से है
कमबख्त यह बेनाम रिश्ता..
और फिर से यह आज
और फिर से यह अब
और फिर से मैं तब...
और फिर से न वो आज, और फिर से न वो अब,
और फिर से में तब....
सब तेरे होने से है
कमबख्त यह बेनाम रिश्ता.
यह कपकपाती कलम,यह सपकते होट सब तेरे होने से है
कमबख्त यह बेनाम रिश्ता..
फिर से यह गुजरती शाम,फिर से यह ढलता चांद
फिर से यह खाली रात,
सब तेरे होने से है
कमबख्त यह बेनाम रिश्ता...
और वही नाकामयाब कोशिश,और वही कामयाब उदासी
और फिर वही यह नादान दिल...
सब तेरे होने से
कमबख्त यह बेनाम रिश्ता...
कुछ वही उम्मीद,कुछ वही आस,
कुछ वही राज, कुछ वही अंदाज
सब तेरे होने से है
कमबख्त यह बेनाम रिश्ता..
और फिर से यह आज
और फिर से यह अब
और फिर से मैं तब...
और फिर से न वो आज, और फिर से न वो अब,
और फिर से में तब....
सब तेरे होने से है
कमबख्त यह बेनाम रिश्ता.